लेखनी कहानी -03-Jul-2025
रोहित बंगाल के एक छोटे से शहर में रहता था। वो दिखने में सुंदर था । उसने ग्रेजुएशन की थी।पर उसे पढ़ना ज्यादा पसंद नहीं था।उसने अपने पापा से कहा, "पापा,अब मैं आपके साथ काम करूंगा।"
उसके पापा लकड़ी का काम करते थे जैसे फर्नीचर बनाना और दरवाज़े खिड़कियां बनाना। वो बोले, "बेटे , तुम आगे की पढाई करके कुछ अच्छा करो। किसी बड़े शहर में अच्छी नौकरी कर लेना। "
रोहित बोला, "नहीं पापा, आपकी तबियत ठीक नहीं रहती है, इसलिए मैं यहीं रहकर आपका ख्याल रखूंगा और काम में आपकी हेल्प करूंगा।" उसके पापा ने बहुत समझाया पर जब वो नहीं माना तो उन्हें उसकी बात माननी पड़ी और वो भी यही काम करने लगा। दोनों मिलकर सारा दिन काम करते इससे उनका गुज़ाऱा ठीक ठाक चलता था।
फिर रोहित के मामा ने उसके लिए एक रिश्ता बताया। वो लोग लड़की के घर गए। लड़की के माँ बाप नहीं थे वो अपने चाचा चाची जी के साथ रहती थी।
उसके चाचा ने बताया , "ये मेरे भैया की इकलौती संतान है। भाभी तो इसके जन्म के दो साल बाद ही मर गई थी और भैया चार साल पहले गुजर गए। भैया के मरने के बाद इसने भी पढाई छोड़ दी थी। वैसे घर के सारे काम कर लेती है। "
उनकी बात सुनकर रोहित के पापा बोले, "देखिए हमें ज्यादा पढ़ी लिखी लड़की से भी क्या करना है? हमने कौन सा नौकरी करानी है ? आप बिटिया को बुला लीजिए। बेटे को पसन्द आनी चाहिए बस। "
लड़की अपनी चाची के साथ आई ,चाची ने उसे रोहित के सामने बिठा दिया वो मुंह नीचे करके बैठ गई। सुमन दिखने में सुंदर थी। गोरा रंग, तीखे नयन और लंबे काले बाल। रोहित को वो पहली नज़र में पसन्द आ गई और उसने अपनी मम्मी पापा को बताया ,तब वो लड़की के चाचा से बोले , " देखिए हमारे बेटे को आपकी बेटी पसन्द है। बधाई हो ,हमे ये रिश्ता मंजूर है।"
चाचा भी बहुत खुश हुआ वो उठकर आया और उन दोनों से गले मिलता हुआ बोला, "आप को भी बधाई ,आज से हमारी सुमन आपकी हुई। देखिए मैं आपसे सीधे ही कहना चाहता हूँ। मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि इसकी शादी कर सकूँ। ऐसा करते है किसी मंदिर में फेरे करवा देते हैं। फिर जितने लोग होंगें उन्हें चाय नाश्ता करवा दूंगा। बस इतना ही पैसा है मेरे पास।फिर मेरे अपने भी दो बच्चे हैं ,उनका भी खर्च है। "
" आप इसकी चिंता ना कीजिए ,आप बस इसे तैयार करके ले आइए बाकि का खर्च हम कर लेंगे। " रोहित के पापा बोले। वो शुरू से ही दूसरों से अलग सोच रखते थे। वो खुद भी कोई ज्यादा अमीर नहीं थे। फिर भी उन्होंने शादी सादे ढंग से की।
एक दिन शाम को घर आकर पापा रोहित से बोले , "बेटे अब तुम्हारी शादी हो गई। तो अपनी फैमिली में एक मेंबर और बढ़ गया है। इससे खर्च भी बढ़ गया है। इसलिए मैंने काफी सोचने की बाद मोहन के पापा से बात की है,अब तुम भी मोहन के साथ फैक्ट्री में काम करने बड़े शहर जाया कर। तभी बहू और बच्चों को अच्छा भविष्य दे सकता है। "
रोहित को पापा की बात समझ आ गई थी सो वो मान गया और मोहन के साथ फैक्ट्री में जाने लगा। अब उसकी आमदनी अच्छी होने लगी थी।
सुमन जल्दी ही उनके परिवार में घुल मिल गई। उसके मम्मी पापा नहीं थे तो वो अपने सास ससुर को बहुत रिस्पेक्ट और प्यार देती थी, उनकी हर बात मानती थी। वो अपनी सास को कोई काम नहीं करने देती थी। सारा काम खुद ही करती थी।
रोहित के मम्मी पापा उससे बहुत खुश थे। वो उसे बहुत पसन्द करते थे। रोहित भी उसे बहुत प्यार करता था।पहले रोहित डरता था कि जाने कैसी होगी ? मेरे मम्मी पापा के साथ रह भी पाएगी। पर अब ऐसी पत्नी पाकर वो बहुत खुश था। वो उनके जीवनपापा उसके सामने सुमन की तारीफें करते थकते नहीं थे। वो उनकी बातें सुनकर बहुत खुश होता था। सुमन के नेचर के कारण गांव के लोग भी उसकी तारीफ करते थे।
सुमन ने अपने चाची के घर बहुत दुख देखे थे। अब जाकर उसे ख़ुशी मिली थी ।उस रात भी वो रोहित से बोली , "सुनिए जी , मुझे जिंदगी में कभी इतनी ख़ुशी नहीं मिली , अब दिल को एक डर सा लगा रहता है कि कहीं ये सब मुझसे छिन ना जाए। "
रोहित ने उसे खीँच कर गले लगा लिया और बोला, "नहीं, तुम्हें कुछ नहीं हो सकता। ऐसा ख्याल भी कभी मन में ना लाना। वो भगवान सब ठीक करेंगे। "
सुमन ने उनके घर के रंग ढंग बिल्कुल बदल दिए थे। उसने खुद सिल कर नए पर्दे लगा दिए थे।आंगन में फूल लगा दिए थे। घर में इतनी साफ सफाई रखती कि वो चमकने लगा था मानो नया हो। उसके चर्चे घर घर होते। हर कोई कहता बहु हो तो ऐसी।
देखते देखते उनकी शादी को तीन साल बीत गए पर उनके घर बच्चा नहीं हुआ। उसके सास ससुर को चिंता थी पर वो उसे कुछ नहीं कहते।
दिल्ली
नेहा ने सुबह का नाश्ता बनाकर , बच्चों को जगाया , "तनु ! आरव! उठो, बेटा स्कूल जाना है।"
फिर उसने अजय को उठाया , "अजय ,बच्चे उठ गए हैं। उन्हें तैयार कर दो । मैं भी तैयार हो जाऊं।" अजय उसी वक़्त उठ गया और बोला, "जाओ तुम तैयार हो जाओ । मैं संभाल लूंगा। " वो उसे किस करते हुए बोला।
नेहा आज ये सब अब याद करती तो लगता कि कोई सपना देख रही हो।वो आठ साल पहला अच्छा अजय कब शराब पीने लगा उसे पता ही नहीं चला।
वो बोली, "तुम फिर शराब पीकर आए ? अजय ये सब क्या है ?"
अजय गुस्से से बोला, " मैं पीता हूं क्योंकि मेरी काली कलूटी पत्नी को देखने को मेरा दिल नहीं करता। "
नेहा सांवले रंग की थी।उसे अपने रंग के बारे में सुनकर बुरा लगा वो बोली, " आज तुम्हें मैं काली लगने लगी। आज से आठ साल पहले तुम ही मेरे पीछे पड़े थे। मैने अपने घर परिवार को तुम्हारे लिए छोड़ा। ये इतने प्यारे दो बच्चे दिए। आज तुम मुझे काली कलूटी बोल रहे हो?"
kam
03-Jul-2025 03:45 PM
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